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"भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Main(Administrative)Building IIT-Roorkee.JPG|right|thumb|300px|भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की का मुख्य (प्रशासनिक) भवन]]
अपने रूपांतरण के बाद से [[भारतीय प्राद्यौगिकी संस्थान]] रूडकी ने देश को जनशक्ति तथा ज्ञान उपलब्ध कराने तथा अनुसंधान कार्य करने मे प्रमुख भूमिका अदा की है । यह संस्थान विश्व के सर्वोत्तम प्रोद्यौगिकी संस्थानो मे अपना स्थान रखता है । इसने प्रोद्यौगिकी विकास के सभी क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है । [[विज्ञान]], [[प्रोद्यौगिकी]] व इंजीनियरिंग शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र मे इसे धारा निर्धारक (ट्रेड़ सेंटर) भी माना जाता है। अक्टुबर 1996 में यह संस्थान अपने अस्तित्व के 150 वर्ष पूर्ण कर चुका है । 21 सितम्बर 2001 को [[भारत]] सरकार ने एक [[अध्यादेश]] जारी करके इस संस्थान को देश का सातवां भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान घोषित किया । [[आई. आई. टी.]] रूडकी को राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण बनाने के लिए यह अध्यादेश अब [[संसद]] के एक [[अधिनियम]] मे परिवर्तित हो चुका है ।
'''भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की''' [[भारत]] का एक सार्वजनिक अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय है। यह [[उत्तराखण्ड]] राज्य के [[रुड़की]] में स्थित है। पहले इसका नाम 'रूड़की विश्वविद्यालय' तथा इससे भी पहले इसका नाम 'थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग' (Thomason College of Civil Engineering) था। इसकी स्थापना मूलतः १८४७ में हुई थी। सन् १९४९ में इसको [[विश्वविद्यालय]] का दर्जा दिया गया। सन् २००१ में इसे [[भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान]] के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।


== परिचय ==
वस्तुकला एवं इंजीनियरिंग के 10 विषयों में स्नातक पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे है ; स्नातकोत्तर , प्रयुक्त विज्ञान व वस्तुकला तथा नियोजन विष्यों के 55 पाठ्यक्रमो की सुविधा उपलब्ध है । संस्थान के सभी विभागों व अनुसंधान केन्द्रों में शोधकार्य की भी सुविधाएं है ।
अपने रूपांतरण के बाद से [[भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान|भारतीय प्राद्यौगिकी संस्थान]] रूडकी ने देश को जनशक्ति तथा ज्ञान उपलब्ध कराने तथा अनुसंधान कार्य करने मे प्रमुख भूमिका अदा की है। यह संस्थान विश्व के सर्वोत्तम प्रोद्यौगिकी संस्थानो मे अपना स्थान रखता है। इसने प्रोद्यौगिकी विकास के सभी क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है। [[विज्ञान]], [[प्रोद्यौगिकी]] व अभियांत्रिकी शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र मे इसे धारा निर्धारक (ट्रैंड सेटर) भी माना जाता है। अक्टुबर 1996 में यह संस्थान अपने अस्तित्व के 150 वर्ष पूर्ण कर चुका है। 21 सितम्बर 2001 को [[भारत]] सरकार ने एक [[अध्यादेश]] जारी करके इस संस्थान को देश का सातवां भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान घोषित किया। [[भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान|आई. आई. टी.]] रूडकी को राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण बनाने के लिए यह अध्यादेश अब [[भारतीय संसद|संसद]] के एक [[अधिनियम]] मे परिवर्तित हो चुका है।


वस्तुकला एवं अभियांत्रिकी के 10 विषयों में स्नातक पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे है ; स्नातकोत्तर, प्रयुक्त विज्ञान व वस्तुकला तथा नियोजन विष्यों के 55 पाठ्यक्रमो की सुविधा उपलब्ध है। संस्थान के सभी विभागों व अनुसंधान केन्द्रों में शोधकार्य की भी सुविधाएं है।
संस्थान में समस्त भारत के विभिन्न केन्द्रों पर आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा ( जे.ई.ई.) के माध्यम से बी टेक. व बी. आर्क. पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश दिया जाता है ।


संस्थान में समस्त भारत के विभिन्न केन्द्रों पर आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे.ई.ई.) के माध्यम से बी टेक. व बी. आर्क. पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश दिया जाता है।


== इतिहास ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.rurkiu.ernet.in/hindi/index.htm ink भारतीय प्राद्योगिकी संस्थान रुड़की का आधिकारिक जालस्थल]
'''रुड़की कॉलेज''' की स्थापना [[१८४७|1847]] में [[लॉर्ड डलहौजी]] द्वारा, भारत के सबसे पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी। लेकिन इस कॉलेज मे इंजीनियरिंग की पढा़ई का कार्य [[१८४५|1845]] में ही शुरु कर दिया गया था और इसका कारण, उस समय शुरु हुए लोक निर्माण कार्य में सहायता देने के लिए स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित करना था।<ref name=roor>[http://dsal.uchicago.edu/reference/gazetteer/pager.html?objectid=DS405.1.I34_V21_331.gif Roorkee Town2] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20100219134408/http://dsal.uchicago.edu/reference/gazetteer/pager.html?objectid=DS405.1.I34_V21_331.gif |date=19 फ़रवरी 2010 }} ''[[The Imperial Gazetteer of India]], v. 21, p. 325.</ref> 1854 में कॉलेज का नाम बदल कर [[गंगा नहर]] के प्रभारी मुख्य इंजीनियर और 1843-53 के बीच रहे भारत के लेफ्टिनेंट गवर्नर [[सर जेम्स थॉमसन]] के नाम पर '''थॉमसन सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज''' कर दिया गया। सन [[१९४८|1948]] में संयुक्त प्रांत ([[उत्तर प्रदेश]]) ने '''अधिनियम संख्या IX''' के द्वारा कॉलेज के प्रदर्शन और स्वतंत्रता के बाद के भारत निर्माण के कार्य में इसकी क्षमता को ध्यान में रखते हुए को इसे विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया। स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित [[जवाहरलाल नेहरू|जवाहर लाल नेहरू]], ने [[१९४९|1949]] नवंबर में चार्टर प्रस्तुत कर कॉलेज का रुतबा बढ़ाकर इसे स्वतंत्र भारत का पहला अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय घोषित किया।
21 सितम्बर 2001 को [[भारतीय संसद|संसद]] में एक विधेयक पारित करके इस विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था और इसे रुड़की विश्वविद्यालय से बदलकर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की कर दिया गया।
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://web.archive.org/web/20050404044453/http://www.rurkiu.ernet.in/hindi/index.htm '''भारतीय प्राद्योगिकी संस्थान रुड़की''' का आधिकारिक जालस्थल]


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19:38, 22 जुलाई 2024 के समय का अवतरण

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की का मुख्य (प्रशासनिक) भवन

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की भारत का एक सार्वजनिक अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय है। यह उत्तराखण्ड राज्य के रुड़की में स्थित है। पहले इसका नाम 'रूड़की विश्वविद्यालय' तथा इससे भी पहले इसका नाम 'थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग' (Thomason College of Civil Engineering) था। इसकी स्थापना मूलतः १८४७ में हुई थी। सन् १९४९ में इसको विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। सन् २००१ में इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।

अपने रूपांतरण के बाद से भारतीय प्राद्यौगिकी संस्थान रूडकी ने देश को जनशक्ति तथा ज्ञान उपलब्ध कराने तथा अनुसंधान कार्य करने मे प्रमुख भूमिका अदा की है। यह संस्थान विश्व के सर्वोत्तम प्रोद्यौगिकी संस्थानो मे अपना स्थान रखता है। इसने प्रोद्यौगिकी विकास के सभी क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है। विज्ञान, प्रोद्यौगिकी व अभियांत्रिकी शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र मे इसे धारा निर्धारक (ट्रैंड सेटर) भी माना जाता है। अक्टुबर 1996 में यह संस्थान अपने अस्तित्व के 150 वर्ष पूर्ण कर चुका है। 21 सितम्बर 2001 को भारत सरकार ने एक अध्यादेश जारी करके इस संस्थान को देश का सातवां भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान घोषित किया। आई. आई. टी. रूडकी को राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण बनाने के लिए यह अध्यादेश अब संसद के एक अधिनियम मे परिवर्तित हो चुका है।

वस्तुकला एवं अभियांत्रिकी के 10 विषयों में स्नातक पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे है ; स्नातकोत्तर, प्रयुक्त विज्ञान व वस्तुकला तथा नियोजन विष्यों के 55 पाठ्यक्रमो की सुविधा उपलब्ध है। संस्थान के सभी विभागों व अनुसंधान केन्द्रों में शोधकार्य की भी सुविधाएं है।

संस्थान में समस्त भारत के विभिन्न केन्द्रों पर आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे.ई.ई.) के माध्यम से बी टेक. व बी. आर्क. पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश दिया जाता है।

रुड़की कॉलेज की स्थापना 1847 में लॉर्ड डलहौजी द्वारा, भारत के सबसे पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी। लेकिन इस कॉलेज मे इंजीनियरिंग की पढा़ई का कार्य 1845 में ही शुरु कर दिया गया था और इसका कारण, उस समय शुरु हुए लोक निर्माण कार्य में सहायता देने के लिए स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित करना था।[1] 1854 में कॉलेज का नाम बदल कर गंगा नहर के प्रभारी मुख्य इंजीनियर और 1843-53 के बीच रहे भारत के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर जेम्स थॉमसन के नाम पर थॉमसन सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज कर दिया गया। सन 1948 में संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) ने अधिनियम संख्या IX के द्वारा कॉलेज के प्रदर्शन और स्वतंत्रता के बाद के भारत निर्माण के कार्य में इसकी क्षमता को ध्यान में रखते हुए को इसे विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया। स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, ने 1949 नवंबर में चार्टर प्रस्तुत कर कॉलेज का रुतबा बढ़ाकर इसे स्वतंत्र भारत का पहला अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय घोषित किया।


21 सितम्बर 2001 को संसद में एक विधेयक पारित करके इस विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था और इसे रुड़की विश्वविद्यालय से बदलकर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की कर दिया गया।

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]
  1. Roorkee Town2 Archived 2010-02-19 at the वेबैक मशीन The Imperial Gazetteer of India, v. 21, p. 325.