सामग्री पर जाएँ

"कन्नड़ भाषा": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो It is कर्णाटका not कर्णाटक
छोNo edit summary
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
|name = कन्नडा
|name = कन्नडा
|nativename = {{lang|kn|ಕನ್ನಡ}}
|nativename = {{lang|kn|ಕನ್ನಡ}}
|states = [[कर्णाटका]], [[भारत]], [[संयुक्त राज्य अमेरिका|संयुक्त राज्य]], [[ऑस्ट्रेलिया]], [[सिंगापुर]], [[यूनाइटेड किंगडम]], [[संयुक्त अरब अमीरात]] के समुदाय
|states = [[कर्नाटक|कर्णाटका]], [[भारत]], [[संयुक्त राज्य अमेरिका|संयुक्त राज्य]], [[ऑस्ट्रेलिया]], [[सिंगापुर]], [[यूनाइटेड किंगडम]], [[संयुक्त अरब अमीरात]] के समुदाय
|region = [[कर्नाटक|कर्णाटका]], [[केरल]], [[महाराष्ट्र]], [[आन्ध्र प्रदेश|आंध्र प्रदेश]], [[गोवा|गोआ]], [[तमिल नाडु]] .
|region = [[कर्नाटक|कर्णाटका]], [[केरल]], [[महाराष्ट्र]], [[आन्ध्र प्रदेश|आंध्र प्रदेश]], [[गोवा|गोआ]], [[तमिल नाडु]] .
|speakers = ६ करोड़ निवासी (२००१, मात्र भारत में), ९० लाख की द्वितीय भाषा
|speakers = ६ करोड़ निवासी (२००१, मात्र भारत में), ९० लाख की द्वितीय भाषा
|familycolor = Dravidian
|familycolor = Dravidian
|fam2 = [[द्रविड़ भाषा-परिवार|द्रविड़ भाषाएं]]
|fam2 = [[द्रविड़ भाषा-परिवार|द्रविड़ भाषाएं]]
|fam3 = प्रोटो-कन्नडा
|fam3 = प्रोटो-कन्नड
|nation = {{IND}} ([[कर्नाटक|कर्णाटक]])
|nation = {{IND}} ([[कर्नाटक|कर्णाटक]])
|agency = [[कर्णाटका]] सरकार की विभिन्न संस्थाएं
|agency = [[कर्नाटक|कर्णाटक]] सरकार की विभिन्न संस्थाएं
|iso1=kn|iso2=kan|iso3=kan|notice=Indic
|iso1=kn|iso2=kan|iso3=kan|notice=Indic
|image = [[चित्र:kannadaalphabet.jpg|center|200px]]
|image = [[चित्र:kannadaalphabet.jpg|center|200px]]
|caption = कन्नडा एवं अंग्रेज़ी में एक द्विभाषी संकेतपट्ट
|caption = कन्नडा एवं अंग्रेज़ी में एक द्विभाषी संकेतपट्ट
|map=[[चित्र:Kannadaspeakers.png|center|250px]]<center><small>भारत के कन्नड़ भाषी</center></small>
|map=[[चित्र:Kannadaspeakers.png|center|250px]]<center><small>भारत के कन्नडा भाषी</center></small>
}}
}}
{{InterWiki|code=kn}}
{{InterWiki|code=kn}}

19:59, 7 जून 2021 का अवतरण

कन्नडा
ಕನ್ನಡ
कन्नडा एवं अंग्रेज़ी में एक द्विभाषी संकेतपट्ट
बोली जाती है कर्णाटका, भारत, संयुक्त राज्य, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त अरब अमीरात के समुदाय
क्षेत्र कर्णाटका, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गोआ, तमिल नाडु .
कुल बोलने वाले ६ करोड़ निवासी (२००१, मात्र भारत में), ९० लाख की द्वितीय भाषा
भाषा परिवार द्रविड़
आधिकारिक स्तर
आधिकारिक भाषा घोषित  भारत (कर्णाटक)
नियामक कर्णाटक सरकार की विभिन्न संस्थाएं
भाषा कूट
ISO 639-1 kn
ISO 639-2 kan
ISO 639-3 kan
भारत के कन्नडा भाषी
Indic script
Indic script
इस पन्ने में हिन्दी के अलावा अन्य भारतीय लिपियां भी है। पर्याप्त सॉफ्टवेयर समर्थन के अभाव में आपको अनियमित स्थिति में स्वर व मात्राएं तथा संयोजक दिख सकते हैं। अधिक...

कन्नडा (ಕನ್ನಡ) भारत के कर्नाटका राज्य में बोली जानेवाली भाषा तथा कर्नाटका की राजभाषा है। यह भारत की उन २२ भाषाओं में से एक है जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में साम्मिलित हैं। name="official"> यह भारत की सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली भाषाओं में से एक है। ४.५० करोड़ लोग कन्नडा भाषा प्रयोग करते हैं। एन्कार्टा के अनुसार, विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली ३० भाषाओं की सूची में कन्नडा २७वें स्थान पर आती है। यह द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है पर इसमें संस्कृत के भी बहुत से शब्द हैं। कन्नडा भाषी लोग इसको 'सिरिगन्नड' कहते हैं। कन्नडा भाषा का अस्तित्व कोई २५०० वर्ष पूर्व से है तथा कन्नडा लिपि का प्रयोग कोई १९०० वर्ष से हो रहा है। कन्नडा अन्य द्रविड़ भाषाओं की तरह है और तेलुगु, तमिल और मलयालम इस भाषा से मिलली-जुलती हैं। कन्नडा संस्कृत भाषा से बहुत प्रभावित है और संस्कृत के बहुत सारे शब्द कन्नडा में भी उसी अर्थ में प्रयुक्त होते हैं। भारत सरकार ने कन्नडा को भी भारत की एक शास्त्रीय भाषा (क्लासिकल लैंगवेज) घोषित किया है।

'कन्नडा' तथा 'कर्नाटका' शब्दों की व्युत्पत्ति

कन्नडा तथा कर्नाटका शब्दों की व्युत्पत्ति के संबंध में भिन्न-भिन्न मत हैं। यदि किसी विद्वान् का यह मत है कि "कंरिदुअनाडु" अर्थात् "काली मिट्टी का देश" से कन्नडा शब्द बना है तो दूसरे विद्वान् के अनुसार "कपितु नाडु" अर्थात् "सुगंधित देश" से "कन्नाडु" और "कन्नाडु" से "कन्नडा" की व्युत्पत्ति हुई है। कन्नडा साहित्य के इतिहासकार आर. नरसिंहाचार ने इस मत को स्वीकार किया है। कुछ वैयाकरणों का कथन है कि कन्नडा संस्कृत शब्द "कर्नाट" का तद्भव रूप है। यह भी कहा जाता है कि "कर्णयो अटति इति कर्नाटका" अर्थात जो कानों में गूँजता है वह कर्नाटका है।

प्राचीन ग्रंथों में कन्नडा, कर्नाट, कर्नाटका शब्द समानार्थ में प्रयुक्त हुए हैं। महाभारत में कर्नाट शब्द का प्रयोग अनेक बार हुआ है (कर्नाटकाश्च कुटाश्च पद्मजाला: सतीनरा:, सभापर्व, 78, 94; कर्नाटका महिषिका विकल्पा मूषकास्तथा, भीष्मपर्व 58-59)। दूसरी शताब्दी में लिखे हुए तमिल "शिलप्पदिकारम्" नामक काव्य में कन्नडा भाषा बोलनेवालों का नाम "करुनाडर" बताया गया है। वराहमिहिर के बृहत्संहिता, सोमदेव के कथासरित्सागर, गुणाढ्य की पैशाची "बृहत्कथा" आदि ग्रंथों में भी कर्नाट शब्द का बराबर उल्लेख मिलता है।

'कर्नाटका' शब्द अंग्रेजी में विकृत होकर कर्नाटिक (Karnatic) अथवा केनरा (Canara), फिर केनरा से केनारीज़ (Canarese) बन गया है। उत्तरी भारत की हिंदी तथा अन्य भाषाओं में कन्नडा शब्द के लिए कनाडी, कन्नडाी, केनारा, कनारी का प्रयोग मिलता है।

आजकल कर्नाटका तथा कन्नडा शब्दों का निश्चित अर्थ में प्रयोग होता है – कर्नाटका प्रदेश का नाम है और "कन्नडा" भाषा का।

कन्नडा भाषा तथा लिपि

प्राचीन कन्नडा़ शिलालेख, ५७८ ई. बादामी-चालुक्य वंश काळीन, जो बादामी के गुफा चित्र सं० ३ में मिले हैं।

द्रविड़ भाषा परिवार की भाषाएँ पंचद्राविड़ भाषाएँ कहलाती हैं। किसी समय इन पंचद्राविड भाषाओं में कन्नडा, तमिल, तेलुगु, गुजराती तथा मराठी भाषाएँ सम्मिलित थीं। किंतु आजकल पंचद्राविड़ भाषाओं के अंतर्गत कन्नडा़, तमिल, तेलुगु, मलयालम तथा तुलु मानी जाती हैं। वस्तुत: तुलु कन्नडा की ही एक पुष्ट बोली है जो दक्षिण कन्नडा जिले में बोली जाती है। तुलु के अतिरिक्त कन्नडा की अन्य बोलियाँ हैं–कोडगु, तोड, कोट तथा बडग। कोडगु कुर्ग में बोली जाती है और बाकी तीनों का नीलगिरि जिले में प्रचलन है। नीलगिरि जिला तमिलनाडु राज्य के अंतर्गत है।

रामायण-महाभारत-काल में भी कन्नडा बोली जाती थी, तो भी ईसा के पूर्व कन्नडा का कोई लिखित रूप नहीं मिलता। प्रारंभिक कन्नडा का लिखित रूप शिलालेखों में मिलता है। इन शिलालेखों में हल्मिडि नामक स्थान से प्राप्त शिलालेख सबसे प्राचीन है, जिसका रचनाकाल 450 ई. है। सातवीं शताब्दी में लिखे गए शिलालेखों में बादामि और श्रवण बेलगोल के शिलालेख महत्वपूर्ण हैं। प्राय: आठवीं शताब्दी के पूर्व के शिलालेखों में गद्य का ही प्रयोग हुआ है और उसके बाद के शिलालेखों में काव्यलक्षणों से युक्त पद्य के उत्तम नमूने प्राप्त होते हैं। इन शिलालेखों की भाषा जहाँ सुगठित तथा प्रौढ़ है वहाँ उसपर संस्कृत का गहरा प्रभाव दिखाई देता है। इस प्रकार यद्यपि आठवी शताब्दी तक के शिलालेखों के आधार पर कन्नडा में गद्य-पद्य-रचना का प्रमाण मिलता है तो भी कन्नडा के उपलब्ध सर्वप्रथम ग्रंथ का नाम "कविराजमार्ग" के उपरांत कन्नडा में ग्रंथनिर्माण का कार्य उत्तरोत्तर बढ़ा और भाषा निरंतर विकसित होती गई। कन्नडा भाषा के विकासक्रम की चार अवस्थाएँ मानी गई हैं जो इस प्रकार है :

  1. अतिप्राचीन कन्नडा (आठवीं शताब्दी के अंत तक की अवस्था),
  2. हळ कन्नडा (प्राचीन कन्नडा) (९वीं शताब्दी के आरंभ से १२वीं शताब्दी के मध्य-काल तक की अवस्था),
  3. नडु गन्नड (मध्ययुगीन कन्नडा) (१२वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से १९वीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक की अवस्था) और
  4. होस गन्नड (आधुनिक कन्नडा) (१९वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से अब तक की अवस्था)।

चारों द्राविड भाषाओं की अपनी पृथक-पृथक लिपियाँ हैं। डॉ॰एम.एच. कृष्ण के अनुसार इन चारों लिपियों का विकास प्राचीन अंशकालीन ब्राह्मी लिपि की दक्षिणी शाखा से हुआ है। बनावट की दृष्टि से कन्नडा और तेलुगु में तथा तमिल और मलयालम में साम्य है। 13वीं शताब्दी के पूर्व लिखे गए तेलुगु शिलालेखों के आधार पर यह बताया जाता है कि प्राचीन काल में तेलुगु और कन्नडा की लिपियाँ एक ही थी। वर्तमान कन्नडा की लिपि बनावट की दृष्टि से देवनागरी लिपि से भिन्न दिखाई देती हैं, किंतु दोनों के ध्वनिसमूह में अधिक अंतर नहीं है। अंतर इतना ही है कि कन्नडा में स्वरों के अतंर्गत "ए" और "ओ" के ह्रस्व रूप तथा व्यंजनों के अंतर्गत वत्स्य "ल" के साथ-साथ मूर्धन्य "ल" वर्ण भी पाए जाते हैं। प्राचीन कन्नडा में "र" और "ळ" प्रत्येक के एक-एक मूर्धन्य रूप का प्रचलन था, किंतु आधुनिक कन्नडा में इन दोनों वर्णो का प्रयोग लुप्त हो गया है। बाकी ध्वनिसमूह संस्कृत के समान है। कन्नडा की वर्णमाला में कुल 47 वर्ण हैं। आजकल इनकी संख्या बावन तक बढ़ा दी गई है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ